Monday, April 23, 2007

Inspired Thoughts ...


अब तो हर आहट से डर लगता है,

कभी अपना था अब अनजान शहर लगता है ...
पहले दिल
मैं शोरोगुल का आलम था,
अब तो ये सन्नाटों क घर लगता है।

उनके आने से खिल
जाती थी कभी कलियाँ,
अब तो बहार पतझड लगता है,
बारिश
जिन बून्दोँ का इन्तज़ार था हमेँ,
अब बिज
ली का गरजना कहर लगता है।

इक इशारे से झुक जाती थी वो पलकें ,
अब पलकों पर अश्कोँ का दरिया
बहता है,
तेरी तरफ़ जो मुसाफ़िर
रुख कर ता था ,
अब उन्ही गलियोँ मैं वोह बेमन्ज़िल सफ़र चलता है।

अब तो हर आहट से डर लगता है,
कभी अपना था अब अनजान शहर लगता है ...


Beyond Words

Something is missing, in the words I wrote, Its an expression, I never miss to quote, They aren't quite old, still not new, They do mean...