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Showing posts from April, 2007

Inspired Thoughts ...

अब तो हर आहट से डर लगता है , कभी अपना था अब अनजान शहर लगता है ... पहले दिल मैं शोरोगुल का आलम था, अब तो ये सन्नाटों क घर लगता है। उनके आने से खिल जाती थी कभी कलियाँ , अब तो बहार भ ी पतझड लगता है, बारिश क जिन बून्दोँ का इन्तज़ार था हमेँ , अब बिज ली का गरजना ह ी कहर लगता है। इक इशारे से झुक जाती थी वो पलकें , अब पलकों पर अश्कोँ का दरिया बहता है, तेरी तरफ़ जो मुसाफ़िर रुख कर ज ा ता था , अब उन्ही गलियोँ मैं वोह बेमन्ज़िल सफ़र चलता है। अब तो हर आहट से डर लगता है, कभी अपना था अब अनजान शहर लगता है ...