Inspired Thoughts ...
अब तो हर आहट से डर लगता है,
कभी अपना था अब अनजान शहर लगता है ...
पहले दिल मैं शोरोगुल का आलम था,
अब तो ये सन्नाटों क घर लगता है।
उनके आने से खिल जाती थी कभी कलियाँ,
अब तो बहार भी पतझड लगता है,
बारिश क जिन बून्दोँ का इन्तज़ार था हमेँ,
अब बिजली का गरजना ही कहर लगता है।
इक इशारे से झुक जाती थी वो पलकें ,
अब पलकों पर अश्कोँ का दरिया बहता है,
तेरी तरफ़ जो मुसाफ़िर रुख कर जाता था ,
अब उन्ही गलियोँ मैं वोह बेमन्ज़िल सफ़र चलता है।
अब तो हर आहट से डर लगता है,
कभी अपना था अब अनजान शहर लगता है ...
Comments
har lafz apna sa lagta hai,
yeh mera hi afsana sa lagta hai.